Dec 6, 2013

धन्यवाद सचिन

मैं जनता हूँ उस वक़्त क्या सोच रहे थे तुम
जिस वक़्त जिंदगी छोड़ने का फैसला कर रहे थे
मैं जनता हूँ कि तुमने कभी भी अपनी ज़िंदगी को अपनी नहीं माना
झोंक दिया सब कुछ जो भी था, जितना था
मैं जानता हूँ वो सवाल कितने चुभ रहे थे तुम्हारे सीने में
मैं जानता हूँ
मुश्किल था यह कहना
कि जिंदगी छोड़ रहा हूँ
तुम्हारे लिए बस ऐसा ही होगा
जैसा मेरे लिए यह सुनना
कि तुम अब नहीं आओगे
क्रिकेट का बल्ला लेकर
सचिन मुश्किल है
तुम्हारे बगैर क्रिकेट सोचना
मैं जनता हूँ

घोंसला और पेड़

1. सिर्फ तना बचा था
पत्ते, डाली टहनियाँ सब छांट दी गयी
दूर बेठी चिड़िया उदास थी
जिन तिनकों को हवाओं से लड़ते हुए जुटाकर घोंसला बनाया था उसने
आज उसे भी हटा दिया गया
"पेड़ के घने होने से उसके गिरने का खतरा बढ़ गया था"
इस दलील के साथ वो सरकारी आदमी चला गया
चिड़िया भी उड़ चुकी थी तब तक
कुछ और तिनके जुटाने...


2. बाप बरगद है, मां पीपल है
मैं नीम हूं, बहन गुलमोहर है
पत्नी गुलाब है, औलाद बेल है
आधुनिकता की दौड़ में
कृपया वृक्षों को न काटें



Oct 14, 2013

केरोसिन


फिर से डीजल और पेट्रोल के भाव बढ़ गए, पता नहीं ये सरकार और कितना मारेगी।’ शांति काका को घंटों अखबार पढ़ते हुए उन खबरों पर टीवी एंकरों की तरह समिक्षा करने का बड़ा शौक था। माफ कीजिएगा आपको शांति काका का परिचय देना भूल गया।
53 वर्षीय शांति काका का आम भारतीय की तरह रंग गेंहूआ, चिंता और फिर उम्र के कारण सिर पर 10-15 काले बाल, वजन कुछ 42 से 45 किलो, आंखे धसी हुई। देश के बिगड़ते हुए आर्थिक हालात का नेगेटिव असर बीएसई इंडेक्स से पहले शांति काका की सेहत पर पड़ता था। गोर्की या मुंशी जी की कहानियों का जीवंत उदाहरण थे शांति काका। भोले भंडारी के परम भक्त। हर शाम शिवलिंग पर भांग का गोला चढ़ाकर स्वत: प्रसाद ग्रहण करना उनके दैनिक कार्यों का अभिन्न अंग था।
मंदिर के अहाते में बैठे शांति काका ने अखबार समेट कर बगल में रखा हुआ चाय का कप उठाकर चुस्किया लेना शुरु किया। चाय पीते हुए कहने लगे, कल से चाय पीना छोड़ दूंगा, दांतों में दर्द बहुत हो रहा है।शिवजी का प्रसाद लेने के बाद वे अकसर ऐसी बात करते थे। मैंने उनके इस पारंपरिक फैसले को नजर अंदाज करते हुए पूछा, आज मुंबादेवी का प्रसाद नहीं लाए।दरअसल शांतिकाका रोजाना विरार से भुलेश्वर आते, सिर्फ हमारे मंदिर में पूजा करने के लिए, और जब मंदिर के कपाट बंद रहते तब मुंबादेवी मंदिर चले जाया करते। मुंबादेवी के पंडित उन्हें प्रसाद स्वरूप कुछ नारियल और पेड़े दे दिया करते, जिन्हें वे बांट देते थे।
बस दो ही बचे हैं, एक तू ले ले और एक मोती को दूंगा।कपड़े की थैली से कागजों में लिपटा हुआ प्रसाद निकालकर उन्होंने मेरे हाथों में थमा दिया। मैं फटाक से पेड़ा मूंह में रखते हुए पहले माले पर जाने के लिए सीढि़यां पर चढ़ने लगा। इतने में शांति काका ने मुझे आवाज देते हुए रोका और कहने लगे, कल ट्रेन का पास खतम होने वाला है, अब दो-तीन दिन बाद ही आउंगा।
शांति काका महीने में एक बार ऐसा जरूर कहते थे, और फिर हफ्ते भर के लिए गायब हो जाते। उनसे संपर्क करना बड़ा मुश्किल करना था क्योंकि मोबाइल तो दूर की बात, उन्होंने घर पर लैंडलाइन भी नहीं ली थी। कहते थे कि किराए का घर होने के कारण बार-बार बदलना पड़ता है, कौन लैंडलाइन का दुख पाले। ज्यादा आपातकालीन स्थिति में सन 2012 में भी उनके पड़ौसियों के यहां फोन करना पड़ता था। घर पर काकी और उनका बेटा था। बेटा नौकरी की तलाश में कभी मुंबई तो कभी अपने ननिहाल के चक्कर काटता था, और काकी भी अकसर इन दोनों ठिकानों के बीच ही घूमती रहती थी।
जुलाई का महीना था। मुंबई में बारिश शुरु हो चुकी थी। करीब चार-पांच दिनों बाद एक दिन शाम को 4 बजे काका भीगते हुए मंदिर आए, कपाट बंद थे इसलिए मम्मी से बातें करने के लिए वे सीधे ऊपर चले आए। काका अकसर अपनी दुख भरी बातें मम्मी को बताते थे, मम्मी भी शाम की चाय पीने के लिए उनका इंतजार करती थी। अपनी कपड़े की थैली से बदन पोंछते हुए काका कहने लगे, मोती नहीं रहा।ये सुनकर पहले तो मुझे ये समझने में टाइम लगा कि मोती कौन था और जब समझ में आया तो काका से पूछा डाला, क्यों क्या हुआ मोती को।मोती जब छोटा सा था तब काका उसे सड़क से उठाकर अपने घर ले गए। घरवालों के विरोध और काका के आग्रह के बाद मोती को बालकनी में रखने पर समझौता हुआ था। बहरहाल काका अपने कुत्ते की मौत का कारण बारिश को बता रहे थे। कहने लगे की नए घर में बालकनी नहीं है, इसलिए मोती बिल्डिंग के गेट पर ही सोता था। बारिश में भीगने के कारण दो-तीन दिन से सुस्त पड़ गया, और उसकी मौत हो गई। काका की बातों को समझना टेक्निकली थोड़ा मुश्किल होता था, इसिलए बात हमेशा अफसोस के साथ ही खतम करनी पड़ती थी। काका ने बताया कि उन्होंने ट्रेन का पास निकालने के लिए जो पैसे जमा किए थे, वो म्यूनिसिपल के कर्मचारी को देने पड़े क्योंकि वो कुत्ते की लाश उठाने में आनाकानी कर रहा था। किसी भी तरह की आर्थिक सहायता लेना काका के उसूलों के खिलाफ था, उन्होंने उस दिन भी मदद लेने से इनकार कर दिया। और चाय पीकर मुंबादेवी मां के मंदिर की ओर चल दिए।
मुझे इराक में स्थित तेल के कुओं, कोयला घोटाला और डीजल-पेट्रोल के चढ़ते दामों पर जितनी दिलचस्प समिक्षाएं समाचार पत्रों में पढ़ने को नहीं मिलती थी, उससे ज्यादा काका बता देते थे। किराए का मकान होने के कारण बार-बार अड्रैस बदलवाने के झंझट के कारण काका ने एलपीजी का कनेक्शन ही नहीं लिया था। वे अपने घर पर कभी सिगड़ी पर कोयले जलाकर, तो कभी केरोसिन जलाकर खाना बनाया करते थे। तेल के दामों ने उन्हें समिक्षक बना दिया था, वे सरकार की आलोचना करने के बजाय मूल कारणों पर विचार करने के पक्ष में थे। भांग की गोली का खाने के बाद उनके अंदर का दार्शनिक जाग जाता था। वे घंटों एक ही टॉपिक पर बोलते रहते थे, बशर्ते कोई सुनने वाला हो।
इस बार पंद्रह दिन से ज्यादा बीत गए काका को मंदिर आए हुए। उन्होंने कभी इतना लंबा अंतराल नहीं लिया। मम्मी ने बताया कि काका हॉस्पिटल में एडमिट है, संडे को उनसे मिलने चलना है। मेरे दिमाग में सीधा सा तर्क आया। बारिश के दिनों में कोई छाता नहीं रखना, भांग खाने के बाद खुराक नहीं लेना और दिन में दस-बारह चाय के कप उड़ेल लेने की आदत ने काका की तबियत पहले से ही बिगाड़ रखी थी। अब उनकी आदतों के कारण वे हॉस्पिटल में हैं तो कोई बड़ी बात नहीं। दो-चार दिन में आ ही जाएंगे, बुखार तो उन्हें अकसर रहता है। उनका बिमार पड़ना कोई दिलदहला देने वाली खबर नहीं थी।
उसी शाम रात आठ बजे के करीब हमारे एक पहचान के रिश्तेदार का मेरे मोबाइल पर फोन आया, दामू शांतिकाका नहीं रहे, विरार चल रहा है क्या। ये खबर दिलदहला देने वाली थी। कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। मम्मी को बताया तो उनकी हालत मुझसे भी ज्यादा खराब थी। थोड़ी ही देर बाद मैं और मम्मी चर्नी रोड स्टेशन पर लोकल ट्रेन में भीड़ कम होने का इंतजार कर रहे थे। काका अकसर रात 8:48 को विरार लोकल पकड़ते थे, भीड़ से खचाखच भरी वही 8:48 की लोकल हमारे सामने से निकल गई। हमने तकरीबन रात 9:30 की लोकल ली और 11 बजे तक विरार पहुंचे। काका ने एक दो बार अड्रैस बताया था, और विरार में रहने वाले हमारे दूसरे रिश्तेदारों की मदद से हम शांति काका के घर पहुंच गए।
बरामदे में काका का अकड़ा हुआ पार्थिव शरीर रखा हुआ था, और वहां गिनती के कुछ आठ-दस लोग मौजूद थे। खामोशी के बीच सुबह होने का इंतजार हो रहा था। रात भर बारिश हो रही थी। पूरा मूड ऑफ हो चुका था, काका को खामोश देखने की आदत नहीं थी।
काका के खयालों के बीच रात कट गई, पौ फटते ही आठ-दस रिश्तेदार और आ गए। हम लोग काका के अंतिम संस्कार की तैयारी में जुट गए। अर्थी के लिए सीढि़यां गूंथने के बाद चार-पांच लोगों को बिल्डिंग के तीसरे माले से शांति काका का शरीर उठाकर नीचे लाना था। काका ने यहां भी ज्यादा लोगों का अहसान नहीं लिया, वजन हल्का होने के कारण दो ही लोग बॉडी उठाकर ले आए। शव यात्रा की तैयारी पूरी होने के बाद घर की औरतों ने कुछ अंतिम रस्में निभाई, और फिर कारवां चल दिया। रास्ते में सड़क के कुत्तों को देखकर काका के मोती की याद आ रही थी। दस मिनट में हम शमशान स्थल पर थे।
शमसान पहुंचने के बाद काका के शरीर को पहले से जमाई हुई लकड़ियों पर रखकर शरीर से उनके कपड़े हटाए गए। हड्डियों के ढांचे में काका एक दम फकीर की तरह लग रहे थे। उनकी बातें भी वैसी ही थी। थोड़ी देर बाद लोग उनकी परिक्रमा करने लगे। रस्म पूरी होने के बाद उनके बेटे ने मुखाग्नी दी और फिर सब लोग दूर खड़े हो गए। आग ठीक से नहीं लगने के कारण धुंआ बहुत उठ रहा था। शमसान भूमि के एक कर्मचारी ने अर्थी के पास खड़े लोगों से कहा कि चार-पांच किलो घी और उड़ेलना पड़ेगा, लकड़ियां आग नहीं पकड़ रही है। एक्सपायरी डेट का घी पूरे दामों में शमसान भूमि से ही खरीदा गया लेकिन घी उड़ेलने के बाद भी ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। मुझे शमसान की लकड़ियों से भी साजिश की बू आने लगी, कहीं जानबूझ कर तो गीली लकड़ियां नहीं दी गई। बहरहाल अंतिम दर्शन के लिए आए कुछ लोग राल का पाउडर छिड़कने की सलाह देने लगे। थोड़ी देर में शमसान कर्मचारियों द्वारा 60 रुपये प्रति किलो के भाव से पाउडर भी उपलब्ध करा दिया गया। पाउडर छिड़कते ही आग भभकती और फिर शांत हो जाती, जब तक पैकेट खत्म नहीं हुआ तब तक ऐसा चलता रहा। चालीस मिनट बीत जाने के बाद भी लकड़ियों ने आग नहीं पकड़ी, लोगों को काम पर जाने के लिए देर हो रही थी। आखिरकार शमसान कर्मचारी द्वारा सुझाए गए एक और उपाय पर सहमति बनी। रिवाजों को परे हटाते हुए मजबूरन लकड़ियों पर केरोसिन छिड़कने की बात मान ली गई। कर्मचारी का उपाय काम कर गया, केरोसिन छिड़कने के बाद लकड़िया जल उठी। अमेरिका अगर इराक पर हमला करेगा तो सबसे पहले उसके तेल के कुओं को जलाएगा लपटों के साथ जेहन में काका की बातें भी धूंआ-धूंआ सुलग रही थी।

Jun 16, 2013

पिता

मुझे पता है
किस तरह तुमने
अपने सपनों को
मुझमें देखा था
जोड़-तोड़ कर
वो सारी चीजें दी
जिनसे खुद महरूम रहे
नए शहर में
कोंलेज एडमिशन से लेकर
किताबें खरीदने तक
हमेशा अकेले भेजा
कभी सीधे से
मेरा हाल नहीं पूछा
पर माँ से ज़रूर पूछा
कि "दामू" अभी तक घर नहीं आया
माँ ने गोद में उठाये रखा
पिता ने कदमों पर चलना सिखाया
-Happy Father's Day

Jun 14, 2013

बादल का जब खुला पिटारा

बादल का जब खुला पिटारा
लुढक गया गर्मी का पारा
भीगी मुंबई सरपट भागी
मोसम हो गया प्यारा प्यारा
टी स्टाल पर भीड़ जुटी है
अदरक वाली चाय घुटी है
बारिश, चाय और प्यार का मोसम
तीनों घटना साथ घटी है
बस स्टॉप पर कपल खड़ा है
एक दूजे को करे इशारा
बारिश का जब खुला पिटारा
6:15 की लोकल लेट
पिंकी का कोई करता वेट
30 मिनट में लोकल आई
दोनों पहुचे चर्चगेट
एक छतरी में पिंकी पप्पू
मरीन ड्राइव का यही नज़ारा
बादल का जब खुला पिटारा
गीले बदन में दफ्तर पहुचे
बॉस खड़े केबिन में सोचे
बारिश में यही हाल रहेगा
हर साल यही होते हैं लोचे
कुर्सी पर फिर टिका बेचारा
बारिश का जब खुला पिटारा
रैनकोट में निकला बंटी
स्कूल की जब बजी थी घंटी
बेग उठाकर गेट पे आया
छतरी खोले खड़ी थी अंटी
दोनों घर लौटे दोबारा
बादल का जब खुला पिटारा

May 30, 2013

ये आग अब बढ़ चुकी है.

फिर से धुआं उठ रहा है
ख़ामोशी सुलगने वाली है
तेरी ओर चल रही हैं हवाएं
ये धीरे धीरे जलती चिंगारियां
बढ़ रही है तेरी ओर
लपटें जलाकर छोड़ेगी
मेरे खतों को तेरी आंच लग चुकी है..
ये आग अब बढ़ चुकी है.
-3/11/12

Two city

बड़ा ज़रूरी बड़े काम का शहर है
यारों जोधपुर तो आराम का शहर है
कूलर -हीटर ,सर्दी- गर्मी
हर मोसम के इंतजाम का शहर है
*
*
*
फिर वही भीड़ वही मंज़र होगा
वहां तो इंसानों का समंदर होगा
*
*
*
लिपस्टिक के दाग जैसा लगता है
मुंबई तेरा रंग कभी उतरेगा नहीं...

जब तक है जान

ताउम्र लड़ते जाऊंगा
तेरे नाज-ओ-नखरे उठाऊंगा
तुम टोकती रहना मुझे
मैं गलतियाँ करता जाऊँगा
इश्क यूं ही जिंदा रहेगा
अपने दरमयान
जब तक है जान
जब तक है जान
ये कई उम्रों का साथ है
तू है तो फिर क्या बात है
तू दिन कहे तो दिन यहाँ
तेरी रात मेरी रात है
ये सदियों का सिलसिला
अपनी है पहचान
जब तक है जान
जब तक है जान
© Damodar Vyas 15/11/2012

बड़ी सुकून से कट रही है

बड़ी सुकून से कट रही है
थोड़ी तेरी थोड़ी मेरी
परेशानियां तो ज़िन्दगी का
अंग है पगली

बड़ी फुरसत से मिल रही है
थोड़ी तुझे थोड़ी मुझे
खुशियाँ मिलती रहेगी जब तक हम
संग है पगली
--- 10:30pm, 18 December, 2012

मुद्दे

एक नेताजी दूसरे से - अरे जवान लोंडों ने गजब कर दिया भैया. हमारी रैलियों से जादा भीड़ जुटाली.
दुसरे नेताजी - अरे वो सब तो हम भी देख रहे है मगर इ बताओ कि ये भीड़ जुटाई किसने, चुनाव के वक़्त काम आएगा.
तीसरे नेताजी - तुम दोनों तो पगला गए हो.. साला अन्दर तक नहीं सोचते. इस लाखों की भीड़ को वोट बैंक बनाने की सोचो.
चौथे - सोचना क्या है. इन लोगन की डिमांड को मुद्दा बनाओ. पेम्पलेट छापो. चुनाव के वक़्त इस मुद्दे को हमरेक चुनावी मुख पत्र में डालेंगे. लौंडे भावनाओं में बह जायेंगे.
समझदार नेताजी - अरे आज शनिवार है, कल सन्डे..क सोमवार को सब गायब हो जायेंगे. देखा नहीं रामलीला मैदान में क्या हुआ था. भ्रष्टाचार का मुद्दा तो अचार बन गया, जब भूक लगे रोटी के साथ खा लो. मुद्दे जब तक सुलझते नहीं तभी तक काम के है.

हिंदुस्तान मर चुका है

ज़मीर मर चुका है
इंसान मर चुका है
किसके भरोसे जीयेंगे
सम्मान मर चुका है

तुम रैलियां निकालो
आवाज़ तुम उठालो
था जो भी सुनने वाला
वो कान मर चुका है

न बेटियाँ सुरक्षित
न बहने जी रही हैं
जिस घर में सांस लेती
वो मकान मर चुका है

शक्ति को चढ़ता सोना
बहुओं को पड़ती लातें
मुझे माफ़ करना यारों
हिंदुस्तान मर चुका है.

ये मोहब्बत कब शुरू हुई थी

कहाँ से शुरू हुई थी ये मोहब्बत
पत्तियों पर ओंस की बूंदे कब निकली
कब निकला होगा वो चाँद
सर्द हवाएं किस ओर से आई थी
किसने छेड़े थे सितार के तार
कब तुमने दिल पर दस्तक दी थी
ये मोहब्बत कब शुरू हुई थी
-26/12/12

चुल्लू भर ज़िन्दगी

एक मुठ्ठी ख़्वाब और चुल्लू भर ज़िन्दगी...
चिमटियों से तारे चुनने हैं, हथेली में रात रखनी है..
कलाई मोड़ देना, सुबह हो जाएगी

MICROMAX A90S

आजकल यादव जी
काम की चिट्ठियां
मोबाइल से भेजने लगे हैं...

बुद्धू भास्कर अब किसी से
पता नहीं पूछता...

बीना आंटी मोबाइल पर ही
खाने की रैसेपी ढूँढती है...

बंटी कॉलर सीधी करके
कहता है कि
दुनिया उसकी जेब में है...

अब हर कोई स्मार्ट बनने लगा है..
क्योंकि, स्मार्टनेस पर
किसी क्लास का कॉपीराईट नहीं है..

MICROMAX A90S
Supersmart phone

बड़े गज़ब की चीज़ है...

- Dedicated to my new mobile.

आम आदमी

वो दलाल स्ट्रीट के जाइंट स्क्रीन पर
टकटकी लगाए खड़ा था
अजीब कश्मकश से
मार्केट का हाल देख रहा था
टिकर चल रहा और
शायद उसकी चिंता बढ़ रही थी
कुछ देर बाद फोन निकाला
और कहने लगा
एलपीजी के दाम नहीं बढ़े
आम आदमी था
बजट देखने के बाद बीवी से बात कर रहा था

---------------------
मैं उसे तक़दीर के हवाले छोड़ आया
कल रात सड़क पर तड़प रहा था
वो आज मुझे
अखबार के सांतवे पन्ने पर मिला
आम आदमी था शायद

--------------- 

सत्ता के इस खेल में

वही खेल फिर होगा
सारे प्यादे सामने होंगे
हाथी कुचलता रहेगा
कमज़ोर प्यादों को
वजीर बादशाह बनने का
ख्वाब पालेगा
राजा अंत में आएगा
या फिर
इस बार
प्यादे
तय करेंगे इस खेल का परिणाम
संभल कर चलेंगे
वजीर पिट जायेगा
राजा घिर जायेगा
सत्ता के इस खेल में
कौन मूंह की खाएगा.
©Damodar

बच्चों वाला घर

सारा घर है उल्टा पुल्टा
टीवी पर सिर्फ कार्टून है
किताबे बिखरी पड़ी है
तस्वीरों पर मूछे बन गई
दीवारों पर मोटर गाड़ी
बिजली का बिल हवाई जहाज बन गया
पिंक पेंट पर बैंगनी लकीरें
पानी की मटकी में
तीन ग्लासें
पर्दों के पीछे कोई छीपा है
चोकलेट की रिश्वत पर काम होता है
बच्चों वाला घर ऐसा ही होता है

आईने में

तुम साथ हो न
फिर क्या डर है
तुम हमेशा साथ थे
हमेशा रहना
बड़ा अच्छा लगता है
तुमसे मिलकर
एक तुम ही तो हो
जिसकी सुनते हैं
वरना नसीहतें तो
बहुत है देने वाले
खैर
मिलते रहना तुम मुझे
आईने में
-©damoda

Tere jaane ke baad

न बिस्तर पर सलवटें हैं
न ही फूलों की महक

सुबह की पूजा
शाम की आरती
सब मौन है

यार घर में कुछ तो रखो
अपनी यादों का सामान
जब रात भर नींद नहीं आती
तब ढूंढता रहता हूँ

कमबख्त तकियों को भी
तुम्हारी आदत पड़ गयी
चददर का दूसरा छोर
उदास पड़ा है

मेरा नहीं कम से कम
घर का तो खयाल करो
©damodar

Holi special

दरवाजे पर चारों खड़े थे
मैं बाहर जाने से कतरा रहा था
वो अंदर आने पर अमादा थे

ये तो तय था
जो लास्ट में रंगा जायेगा
उसकी हालत खराब है

बाहर से सुरेन्द्र बोला
"कितना छुपेगा, बचेगा नहीं"
गोपाल बोला
"छोड़ न यार डरपोक है साला"
राजेश बाकी के तीनों को लेकर
निकल गया था शायद

आधे घंटे तक इंतज़ार किया
आखिर में भी बाथरूम में
कब तक छिपता

घुटन से बाहर निकला
बाहें फैलाकर चैन की साँस ली

तभी रमेश मुझ पर झपटा
सिल्वर कलर में
कमीनों को पहचान नहीं पा रहा था

उस दिन बहुत रंग रगड़ा सालों ने

इस बार गाँव आया हूँ
बाथरूम में घुसा
बाहर निकलने का डर नहीं था

मोहल्ले के बच्चे एंग्री बर्ड की पिचकारियों से
एक दूजे पर पानी छिड़क रहे थे

कुछ देर बाद सुरेंद्र का एसएमएस आया
"wish you and your family happy holi."

होली कितनी फीकी हो गयी न यार
खैर छोड़ो दो दिन बाद काम पर जाना है....

Short note

जब तक तेरे दिल में मलाल रहेगा
जानू, मेरा भी तो यही हाल रहेगा

--------------------
तेरा साथ होना मेरी बेफ़िक्री का सबब था.
तेरा दूर जाना मेरी बेचैनी की इन्तेहा है.

-------------------
मेरा वहां पहुचना ज़रूरी है
वक़्त इंतज़ार कर रहा है मेरा

------------------

अपने हिस्से की मिठास बच्चों के मूह में रख देती है
मां तो बस औलाद की मुस्कान से स्वाद चख लेती है


-----------------------

छूना मत प्यार हो जाएगा
तुम्हारी बातें बड़ी heart touching हैं


--------------------

न हिंदुस्तान मरता है न पाकिस्तान मरता है
दो मुल्कों की सियासत में बस एक इंसान मरता है
 
 

---------------------
 ज़िंदगी कहानी जैसी होनी चाहिए
आओ सभी किरदारों में ढल जाए

----------------------- 
हमारे बीच ये हल्की सी अनबन
गले में पैदा हुई खराश जैसी है
ज़रा सी मिश्री रख लो जुबा पर
रिश्ता ठीक हो जाएगा

--------------------- 
किस आडंबर की कोख से पैदा हुआ है तू
तुझे जीवन की दिशा तय करने का क्या हक है
इस छीना झपटी में तुझे क्या मिलेगा
तू वक़्त है तो वक़्त पर ही तुझे सारे जवाब देने होंगे

-------------------  
हर साल 345 दिनों की
EMI भरता हूँ,
सांसे loan पर ली थी मैंने...
 

-----------------
ज़ुबा पर उसका नाम यूं आया
बचपन का कोई खिलौना हाथ लग गया हो जैसे.

--------------------
मोहब्बत करने वाले अक्सर गणित में फेल हो जाते है...!!
------------------   
अगर ये कोपी पेस्ट का ऑप्शन बंद हो जाये
मोहब्बत करने वालों की मोहब्बत बंद हो जाये....

-------------------  
Na to ab chourahe se mudate hai
Aur na hi kone pe rukate hai.
Tune thukra diya aur hum
Seedha chalna seekh gaye.

-----------------  

On IPL fixing

कभी दामाद डुबोता है
कभी भांजा फसाता है
करप्शन के कीचड़ में
आदमी यूं समाता है
ये इंसा बेच भी दें
देश को गर फूटी कोड़ी में
अपना क्या बिगड़ता है
तेरे घर से क्या जाता है

बहुत कुछ बोलकर
खामोश होना अपनी आदत है
इसी आदत का हर एक लालची
फायदा उठाता है

Incredible Rajasthan

रणथम्बौर रंगीलो मोर
तीज त्योहार अठे गणगौर

दाल बाटी पापड़ साग
घर घर गूंजे मांड राग

जैसलमेर बीकानेर
पुष्कर मेला और अजमेर

उदयपुर जोधपुर गजब निराला
जयपुर शहर है शान वाला

शेखावटी वीर चित्तौड़
हल्दीघाटी है सिरमौर

राजस्थान रंगीलो वेश
आओ पधारो म्हारे देश

Mar 14, 2013

 अब हम दोनों में कोई मुकाबला नहीं
अपना फांसला जमी आसमान का है
तुम बुलंदी छूकर फ़रिश्ता बन चुकी
अपना तेवर तो अब भी इंसान का है


------------------
तेरे बगैर यूं होगा सोचा भी नहीं था
मेरा ख्वाब लहू होगा सोचा भी नहीं था


-------------------

तुमने तो कह दिया कि बूरा क्या है
कभी देख लिया होता अधूरा क्या है


-----------------

  

सियासत टैक्स लेती है

तुम कहने से नहीं डरती
मैं करने से नहीं डरता
तुम मारने से नहीं डरती
मैं मरने से नहीं डरता

दोनों को तैरना होगा
मोहब्बत की रवानी में
तुम नदियों से नहीं डरती
मैं झरने से नहीं डरता

सियासत टैक्स लेती है
मोहब्बत करने वालों पर
तुम हड़ताल से नहीं डरती
मैं धरने से नहीं डरता

Mar 9, 2013

ओ गुलाबी अंटी

अरे ओ गुलाबी अंटी
आजकल लोगों को हड़काने लगी हो
कांप रहे है, सिहर रहे हैं बेचारे
कल सीएसटी के बाहर स्वेटर खरीदते देखा
भोर में डी एन रोड पर अलाव जल रहे हैं

ओ गुलाबी अंटी
मंकी कैप पहनकर आई हो
बात करती हो तो धुँआ निकलता है
सर्दी बढ़ा रही हो या उड़ा रही हो!

ओ गुलाबी अंटी
दिल्ली, जयपुर के बाद
मुंबई भी आई हो
अच्छा लगा
थोड़े दिन और रहना
गरीबों को मारना मत
गुलाबी हो, गुलाबी ही रहना

ग़ालिब

सुना है ग़ालिब तुझे बड़ी फुर्सत थी
अच्छा हुआ उस ज़माने में फेसबुक नहीं था..

वक़्त

आज तुम्हारी बारी है...
कल मेरी आएगी.
सुन ले...
हिसाब चुकता कर लूँगा..
तुम्ही ने सिखाया है ये सब.
तुम वक़्त हो, अपनी ही चाल से मात खाओगे

मेरी तन्हाई तुम्हारी कमी का भुगतान है

चीज़ें खसोटने की तुम्हारी आदत बड़ी पुरानी है

टीवी और सेटटॉप बॉक्स के बीच
केबल का बिल

टेलीफोन के नीचे
टेलीफोन का बिल

प्लग बोर्ड और दीवार के बीच
बिजली का बिल

हालात से पैदा हुई दूरियों में
तुमने अपनी यादें रख दी हैं

मेरी तन्हाई तुम्हारी कमी का भुगतान है

एक ख़्वाब देखना है

तुम मेरे सीने से लिपट जाओ
एक ख़्वाब देखना है
मेरी आँखों में डूब जाओ
एक ख़्वाब देखना है

थाम लो सारे इरादे
उंगलियों के पोरों से
धड़कने और बढ़ाओ
एक ख़्वाब देखना है

तुम्हारी ये सिसकियां
ख़ामोशी तोड़ रही है
ज़रा सा सिहर भी जाओ
एक ख़्वाब देखना है

बस तुम हो, मैं हूँ और प्यार है यहाँ
ज़रा सा भी न कतराओ
एक ख़्वाब देखना है

माँ

कभी देखे नहीं तेरी हथेली के छाले
देखता तो समझ भी जाता

आज पता चला
क्यों तुम गालों पे नहीं
सर पे हाथ रखती हो
------
माँ मुट्ठी में दर्द को छुपा लेती है
आंसू पोंछती है, मेरी खातिर मुस्कुरा लेती है

आम आदमी था

वो दलाल स्ट्रीट के जाइंट स्क्रीन पर
टकटकी लगाए खड़ा था
अजीब कश्मकश से
मार्केट का हाल देख रहा था
टिकर चल रहा और
शायद उसकी चिंता बढ़ रही थी
कुछ देर बाद फोन निकाला
और कहने लगा
एलपीजी के दाम नहीं बढ़े
आम आदमी था
बजट देखने के बाद बीवी से बात कर रहा था

--- तुम नहीं समझोगी.

चलो अब बंद भी करो
ये नाटक

तुमने मुझे ज़रूरी नहीं समझा
मैंने तुम्हें आदत नहीं बनाया

अपने प्यार में शर्तें लागू थी

जब कुछ नहीं होता है
तब प्यार होता है

--- तुम नहीं समझोगी.
तेरा साथ होना मेरी बेफ़िक्री का सबब था.
तेरा दूर जाना मेरी बेचैनी की इन्तेहा है.

tasveer

tum tasveer hi rakh lete meri..

dekh lete ek aadh dafa
jab ekele hote tab..

yaa fir mujhe rakh dete
purse ke kisi kone me..

tumhare kaam ki cheezo ke saath
meri tasveer bhi hoti..

lipstic, comb, credit card
ek aaina or meri tasveer..

koi chhu leta to..
kheench ke kehte..
laDkiyo ke purse ko nahi chheDte hein..

suna hein..
tum jabse gayi ho..
sajna sanvarna bhool gayi ho..

purse kholte hi nahi dikhti hogi..
meri tasveer!!!!! shayad..

positivity

सुना है
वो अब भी वहीं रहती है
चौराहे से पहला लेफ्ट
तीसरी गली
पांचवा मकान
...
उसने सब कुछ तो बदल लिया
फिर ठिकाना क्यों नहीं?
--
positivity की भी
हद होती है.

वो औरत है..

वो जब भी डांटती है
तो ख़ुद भी रोने लगाती है

तुम्हारा इंतज़ार उसे
चौखट पे खड़ा कर देता है

सिर्फ़ एक दिन हक़ मांगती है
अपने आस्तित्व का धागा लेकर

वो खुद को सौंप देती है
तुम्हारी इच्छाओं के सम्मान में

वो मां है.. पत्नी है
वो बहन है, बेटी है..

वो औरत है..
उसे दुनिया बसाना आता है..

तुम्हे फुर्सत हो तो

तुम्हें फुर्सत हो तो ज़रा जल्दी आना
आज कुछ वक़्त बिताना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ.. तुम्हे फुर्सत हो तो

तुम्हे फुर्सत हो तो ले आना
कोई रोमांटिक मूवी देख लेंगे
तुम्हारे साथ.. तुम्हें फुर्सत हो तो

ज़रा किचन में चले आना
फ्रिज से पानी की बोतल लेने
छेड़ लेना मुझे, तुम्हे फुर्सत हो तो

न तो अब तुम रिमोट छीनते हो
ना ही हाथ खींचते, तुम्हे क्या हुआ है
सोच लेना, तुम्हे फुर्सत हो तो

Followers