वो दलाल स्ट्रीट के जाइंट स्क्रीन पर
टकटकी लगाए खड़ा था
अजीब कश्मकश से
मार्केट का हाल देख रहा था
टिकर चल रहा और
शायद उसकी चिंता बढ़ रही थी
कुछ देर बाद फोन निकाला
और कहने लगा
एलपीजी के दाम नहीं बढ़े
आम आदमी था
बजट देखने के बाद बीवी से बात कर रहा था
---------------------
मैं उसे तक़दीर के हवाले छोड़ आया
कल रात सड़क पर तड़प रहा था
वो आज मुझे
अखबार के सांतवे पन्ने पर मिला
आम आदमी था शायद
---------------
टकटकी लगाए खड़ा था
अजीब कश्मकश से
मार्केट का हाल देख रहा था
टिकर चल रहा और
शायद उसकी चिंता बढ़ रही थी
कुछ देर बाद फोन निकाला
और कहने लगा
एलपीजी के दाम नहीं बढ़े
आम आदमी था
बजट देखने के बाद बीवी से बात कर रहा था
---------------------
मैं उसे तक़दीर के हवाले छोड़ आया
कल रात सड़क पर तड़प रहा था
वो आज मुझे
अखबार के सांतवे पन्ने पर मिला
आम आदमी था शायद
---------------
No comments:
Post a Comment