May 30, 2013

मुद्दे

एक नेताजी दूसरे से - अरे जवान लोंडों ने गजब कर दिया भैया. हमारी रैलियों से जादा भीड़ जुटाली.
दुसरे नेताजी - अरे वो सब तो हम भी देख रहे है मगर इ बताओ कि ये भीड़ जुटाई किसने, चुनाव के वक़्त काम आएगा.
तीसरे नेताजी - तुम दोनों तो पगला गए हो.. साला अन्दर तक नहीं सोचते. इस लाखों की भीड़ को वोट बैंक बनाने की सोचो.
चौथे - सोचना क्या है. इन लोगन की डिमांड को मुद्दा बनाओ. पेम्पलेट छापो. चुनाव के वक़्त इस मुद्दे को हमरेक चुनावी मुख पत्र में डालेंगे. लौंडे भावनाओं में बह जायेंगे.
समझदार नेताजी - अरे आज शनिवार है, कल सन्डे..क सोमवार को सब गायब हो जायेंगे. देखा नहीं रामलीला मैदान में क्या हुआ था. भ्रष्टाचार का मुद्दा तो अचार बन गया, जब भूक लगे रोटी के साथ खा लो. मुद्दे जब तक सुलझते नहीं तभी तक काम के है.

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