Feb 5, 2008

हिंदुस्तान हूँ मैं..

सदियों से एक पहचान हूँ मैं..
नफ़रत से रहा अनजान हूँ मैं.. 
अब बूढी हुई आवाज़ मेरी
मेरे बेटो..... हिन्दुस्तान हूँ मैं...

चुपचाप दुब्बक कर बैठा हूँ
अब अंगारों पे लेटा हूँ ...
तुम प्यार करो तो चैन मिले ...
देखो कितना परेशान हूँ मैं...
मेरे बेटों ...हिन्दुस्तान हूँ मैं...

क्यों जात-पात में उलझ गये...
मजहब को लेकर झुलस गये...
क्यों बूढे बाप को नोचते हो ....
अभी जिंदा एक जहान हूँ मैं....
मेरे बेटो ...हिन्दुस्तान हूँ मैं...

दिल्ली में धड़कता दिल हैं मेरा...
मेरी सोच हिमालय में घूमती हैं...
पूरब पश्चिम में हाथ मेरे.....
दक्षिण को लहरे चूमती हैं.....
क्या अलग -अलग रह पाओगे ?
कई जिस्मो की एक जान हूँ मैं ...
ये बाप अभी तक जिंदा हैं ....
मेरे बेटों ..... हिन्दुस्तान हूँ मैं..

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