अब हम दोनों में कोई मुकाबला नहीं
अपना फांसला जमी आसमान का है
तुम बुलंदी छूकर फ़रिश्ता बन चुकी
अपना तेवर तो अब भी इंसान का है
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तेरे बगैर यूं होगा सोचा भी नहीं था
मेरा ख्वाब लहू होगा सोचा भी नहीं था
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तुमने तो कह दिया कि बूरा क्या है
कभी देख लिया होता अधूरा क्या है
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अपना फांसला जमी आसमान का है
तुम बुलंदी छूकर फ़रिश्ता बन चुकी
अपना तेवर तो अब भी इंसान का है
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तेरे बगैर यूं होगा सोचा भी नहीं था
मेरा ख्वाब लहू होगा सोचा भी नहीं था
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तुमने तो कह दिया कि बूरा क्या है
कभी देख लिया होता अधूरा क्या है
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