Mar 14, 2013

 अब हम दोनों में कोई मुकाबला नहीं
अपना फांसला जमी आसमान का है
तुम बुलंदी छूकर फ़रिश्ता बन चुकी
अपना तेवर तो अब भी इंसान का है


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तेरे बगैर यूं होगा सोचा भी नहीं था
मेरा ख्वाब लहू होगा सोचा भी नहीं था


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तुमने तो कह दिया कि बूरा क्या है
कभी देख लिया होता अधूरा क्या है


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सियासत टैक्स लेती है

तुम कहने से नहीं डरती
मैं करने से नहीं डरता
तुम मारने से नहीं डरती
मैं मरने से नहीं डरता

दोनों को तैरना होगा
मोहब्बत की रवानी में
तुम नदियों से नहीं डरती
मैं झरने से नहीं डरता

सियासत टैक्स लेती है
मोहब्बत करने वालों पर
तुम हड़ताल से नहीं डरती
मैं धरने से नहीं डरता

Mar 9, 2013

ओ गुलाबी अंटी

अरे ओ गुलाबी अंटी
आजकल लोगों को हड़काने लगी हो
कांप रहे है, सिहर रहे हैं बेचारे
कल सीएसटी के बाहर स्वेटर खरीदते देखा
भोर में डी एन रोड पर अलाव जल रहे हैं

ओ गुलाबी अंटी
मंकी कैप पहनकर आई हो
बात करती हो तो धुँआ निकलता है
सर्दी बढ़ा रही हो या उड़ा रही हो!

ओ गुलाबी अंटी
दिल्ली, जयपुर के बाद
मुंबई भी आई हो
अच्छा लगा
थोड़े दिन और रहना
गरीबों को मारना मत
गुलाबी हो, गुलाबी ही रहना

ग़ालिब

सुना है ग़ालिब तुझे बड़ी फुर्सत थी
अच्छा हुआ उस ज़माने में फेसबुक नहीं था..

वक़्त

आज तुम्हारी बारी है...
कल मेरी आएगी.
सुन ले...
हिसाब चुकता कर लूँगा..
तुम्ही ने सिखाया है ये सब.
तुम वक़्त हो, अपनी ही चाल से मात खाओगे

मेरी तन्हाई तुम्हारी कमी का भुगतान है

चीज़ें खसोटने की तुम्हारी आदत बड़ी पुरानी है

टीवी और सेटटॉप बॉक्स के बीच
केबल का बिल

टेलीफोन के नीचे
टेलीफोन का बिल

प्लग बोर्ड और दीवार के बीच
बिजली का बिल

हालात से पैदा हुई दूरियों में
तुमने अपनी यादें रख दी हैं

मेरी तन्हाई तुम्हारी कमी का भुगतान है

एक ख़्वाब देखना है

तुम मेरे सीने से लिपट जाओ
एक ख़्वाब देखना है
मेरी आँखों में डूब जाओ
एक ख़्वाब देखना है

थाम लो सारे इरादे
उंगलियों के पोरों से
धड़कने और बढ़ाओ
एक ख़्वाब देखना है

तुम्हारी ये सिसकियां
ख़ामोशी तोड़ रही है
ज़रा सा सिहर भी जाओ
एक ख़्वाब देखना है

बस तुम हो, मैं हूँ और प्यार है यहाँ
ज़रा सा भी न कतराओ
एक ख़्वाब देखना है

माँ

कभी देखे नहीं तेरी हथेली के छाले
देखता तो समझ भी जाता

आज पता चला
क्यों तुम गालों पे नहीं
सर पे हाथ रखती हो
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माँ मुट्ठी में दर्द को छुपा लेती है
आंसू पोंछती है, मेरी खातिर मुस्कुरा लेती है

आम आदमी था

वो दलाल स्ट्रीट के जाइंट स्क्रीन पर
टकटकी लगाए खड़ा था
अजीब कश्मकश से
मार्केट का हाल देख रहा था
टिकर चल रहा और
शायद उसकी चिंता बढ़ रही थी
कुछ देर बाद फोन निकाला
और कहने लगा
एलपीजी के दाम नहीं बढ़े
आम आदमी था
बजट देखने के बाद बीवी से बात कर रहा था

--- तुम नहीं समझोगी.

चलो अब बंद भी करो
ये नाटक

तुमने मुझे ज़रूरी नहीं समझा
मैंने तुम्हें आदत नहीं बनाया

अपने प्यार में शर्तें लागू थी

जब कुछ नहीं होता है
तब प्यार होता है

--- तुम नहीं समझोगी.
तेरा साथ होना मेरी बेफ़िक्री का सबब था.
तेरा दूर जाना मेरी बेचैनी की इन्तेहा है.

tasveer

tum tasveer hi rakh lete meri..

dekh lete ek aadh dafa
jab ekele hote tab..

yaa fir mujhe rakh dete
purse ke kisi kone me..

tumhare kaam ki cheezo ke saath
meri tasveer bhi hoti..

lipstic, comb, credit card
ek aaina or meri tasveer..

koi chhu leta to..
kheench ke kehte..
laDkiyo ke purse ko nahi chheDte hein..

suna hein..
tum jabse gayi ho..
sajna sanvarna bhool gayi ho..

purse kholte hi nahi dikhti hogi..
meri tasveer!!!!! shayad..

positivity

सुना है
वो अब भी वहीं रहती है
चौराहे से पहला लेफ्ट
तीसरी गली
पांचवा मकान
...
उसने सब कुछ तो बदल लिया
फिर ठिकाना क्यों नहीं?
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positivity की भी
हद होती है.

वो औरत है..

वो जब भी डांटती है
तो ख़ुद भी रोने लगाती है

तुम्हारा इंतज़ार उसे
चौखट पे खड़ा कर देता है

सिर्फ़ एक दिन हक़ मांगती है
अपने आस्तित्व का धागा लेकर

वो खुद को सौंप देती है
तुम्हारी इच्छाओं के सम्मान में

वो मां है.. पत्नी है
वो बहन है, बेटी है..

वो औरत है..
उसे दुनिया बसाना आता है..

तुम्हे फुर्सत हो तो

तुम्हें फुर्सत हो तो ज़रा जल्दी आना
आज कुछ वक़्त बिताना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ.. तुम्हे फुर्सत हो तो

तुम्हे फुर्सत हो तो ले आना
कोई रोमांटिक मूवी देख लेंगे
तुम्हारे साथ.. तुम्हें फुर्सत हो तो

ज़रा किचन में चले आना
फ्रिज से पानी की बोतल लेने
छेड़ लेना मुझे, तुम्हे फुर्सत हो तो

न तो अब तुम रिमोट छीनते हो
ना ही हाथ खींचते, तुम्हे क्या हुआ है
सोच लेना, तुम्हे फुर्सत हो तो

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