हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
डंक सी चुभती है जब कोई खबर
आँखों में पानी लाती है
सुर्ख लाल रंग लेकर
आखबारों में छप जाती है
ये मौत है या हत्या है या नियति
पता नहीं,
लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर
हादसा बन जाती है