हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
Mar 9, 2013
तेरा साथ होना मेरी बेफ़िक्री का सबब था. तेरा दूर जाना मेरी बेचैनी की इन्तेहा है.
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