हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
Nov 10, 2012
ये आग अब बढ़ चुकी है.
फिर से धुआं उठ रहा है
ख़ामोशी सुलगने वाली है
तेरी ओर चल रही हैं हवाएं
ये धीरे धीरे जलती चिंगारियां
बढ़ रही है तेरी ओर
लपटें जलाकर छोड़ेगी
मेरे खतों को तेरी आंच लग चुकी है..
ये आग अब बढ़ चुकी है.
-3/11/12
ख़ामोशी सुलगने वाली है
तेरी ओर चल रही हैं हवाएं
ये धीरे धीरे जलती चिंगारियां
बढ़ रही है तेरी ओर
लपटें जलाकर छोड़ेगी
मेरे खतों को तेरी आंच लग चुकी है..
ये आग अब बढ़ चुकी है.
-3/11/12
मेरे दो अनमोल शहर
बड़ा ज़रूरी बड़े काम का शहर है
यारों जोधपुर तो आराम का शहर है
कूलर -हीटर ,सर्दी- गर्मी
हर मोसम के इंतजाम का शहर है
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फिर वही भीड़ वही मंज़र होगा
वहां तो इंसानों का समंदर होगा
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यारों जोधपुर तो आराम का शहर है
कूलर -हीटर ,सर्दी- गर्मी
हर मोसम के इंतजाम का शहर है
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फिर वही भीड़ वही मंज़र होगा
वहां तो इंसानों का समंदर होगा
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लिपस्टिक के दाग जैसा लगता है
मुंबई तेरा रंग कभी उतरेगा नहीं...
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लिपस्टिक के दाग जैसा लगता है
मुंबई तेरा रंग कभी उतरेगा नहीं...
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