हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
Mar 9, 2013
वक़्त
आज तुम्हारी बारी है... कल मेरी आएगी. सुन ले... हिसाब चुकता कर लूँगा.. तुम्ही ने सिखाया है ये सब. तुम वक़्त हो, अपनी ही चाल से मात खाओगे
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