Dec 6, 2013

धन्यवाद सचिन

मैं जनता हूँ उस वक़्त क्या सोच रहे थे तुम
जिस वक़्त जिंदगी छोड़ने का फैसला कर रहे थे
मैं जनता हूँ कि तुमने कभी भी अपनी ज़िंदगी को अपनी नहीं माना
झोंक दिया सब कुछ जो भी था, जितना था
मैं जानता हूँ वो सवाल कितने चुभ रहे थे तुम्हारे सीने में
मैं जानता हूँ
मुश्किल था यह कहना
कि जिंदगी छोड़ रहा हूँ
तुम्हारे लिए बस ऐसा ही होगा
जैसा मेरे लिए यह सुनना
कि तुम अब नहीं आओगे
क्रिकेट का बल्ला लेकर
सचिन मुश्किल है
तुम्हारे बगैर क्रिकेट सोचना
मैं जनता हूँ

घोंसला और पेड़

1. सिर्फ तना बचा था
पत्ते, डाली टहनियाँ सब छांट दी गयी
दूर बेठी चिड़िया उदास थी
जिन तिनकों को हवाओं से लड़ते हुए जुटाकर घोंसला बनाया था उसने
आज उसे भी हटा दिया गया
"पेड़ के घने होने से उसके गिरने का खतरा बढ़ गया था"
इस दलील के साथ वो सरकारी आदमी चला गया
चिड़िया भी उड़ चुकी थी तब तक
कुछ और तिनके जुटाने...


2. बाप बरगद है, मां पीपल है
मैं नीम हूं, बहन गुलमोहर है
पत्नी गुलाब है, औलाद बेल है
आधुनिकता की दौड़ में
कृपया वृक्षों को न काटें



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