हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
Nov 10, 2012
ये आग अब बढ़ चुकी है.
फिर से धुआं उठ रहा है
ख़ामोशी सुलगने वाली है
तेरी ओर चल रही हैं हवाएं
ये धीरे धीरे जलती चिंगारियां
बढ़ रही है तेरी ओर
लपटें जलाकर छोड़ेगी
मेरे खतों को तेरी आंच लग चुकी है..
ये आग अब बढ़ चुकी है.
-3/11/12
ख़ामोशी सुलगने वाली है
तेरी ओर चल रही हैं हवाएं
ये धीरे धीरे जलती चिंगारियां
बढ़ रही है तेरी ओर
लपटें जलाकर छोड़ेगी
मेरे खतों को तेरी आंच लग चुकी है..
ये आग अब बढ़ चुकी है.
-3/11/12
मेरे दो अनमोल शहर
बड़ा ज़रूरी बड़े काम का शहर है
यारों जोधपुर तो आराम का शहर है
कूलर -हीटर ,सर्दी- गर्मी
हर मोसम के इंतजाम का शहर है
*
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फिर वही भीड़ वही मंज़र होगा
वहां तो इंसानों का समंदर होगा
*
यारों जोधपुर तो आराम का शहर है
कूलर -हीटर ,सर्दी- गर्मी
हर मोसम के इंतजाम का शहर है
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फिर वही भीड़ वही मंज़र होगा
वहां तो इंसानों का समंदर होगा
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लिपस्टिक के दाग जैसा लगता है
मुंबई तेरा रंग कभी उतरेगा नहीं...
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लिपस्टिक के दाग जैसा लगता है
मुंबई तेरा रंग कभी उतरेगा नहीं...
Oct 5, 2012
मुम्बईकर
कैसे कर लेते हो भईया
थोड़े से वेतन में महीने भर गुजारा
भीड़ भरी लोकल में चर्चगेट तक की यात्रा
ऑफ़िस की खींचतान के बीच थोड़ा सा मजाक
बरसों पुराने शूट में दोस्तों की शादी अटेंड करना
बेटे की ज़िद को कैसे भी पूरा करना
पटाखों की गूँज में फोन पर बात कर लेना
रात को एक बजे सोना, सुबह छह बजे उठना
तुम कहीं आम मुम्बईकर तो नहीं....!
किश्तों में ही सही
अब ना तो वो पूरा कहते हैं
अब ना ही हम पूरा सुनते हैं
खैर बात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
वो ज़रा सा देख लेते हैं
हम थोड़ा झांक लेते है
खैरं मुलाक़ात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
अब ना ही हम पूरा सुनते हैं
खैर बात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
वो ज़रा सा देख लेते हैं
हम थोड़ा झांक लेते है
खैरं मुलाक़ात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
हम तकिया फेंक देते हैं
वो चद्दर खींच लेते हैं
खैर पूरी रात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
हम छतरी तान देते है
वो थोड़ा भीग जाते हैं
खैर बरसात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
वो थोड़ा रो भी लेते हैं
हम थोड़ा हंस भी देते हैं
जिंदगी साथ तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही..
-दामोदर व्यास
4, अक्टूबर 2012, 2AM
वो चद्दर खींच लेते हैं
खैर पूरी रात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
हम छतरी तान देते है
वो थोड़ा भीग जाते हैं
खैर बरसात तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही
वो थोड़ा रो भी लेते हैं
हम थोड़ा हंस भी देते हैं
जिंदगी साथ तो होती है
चाहे किश्तों में ही सही..
-दामोदर व्यास
4, अक्टूबर 2012, 2AM
Oct 3, 2012
अरे ये कहाँ आ गए
अरे ये कहाँ आ गए
ऐसी जगह तो तस्वीरों में देखी है
आँखों को आदत नहीं है
ये हरियाली देखने की
यहाँ तो पी पो भी नहीं है
यहाँ की आदत हमें नहीं है
ऐसी जगह तो तस्वीरों में देखी है
आँखों को आदत नहीं है
ये हरियाली देखने की
यहाँ तो पी पो भी नहीं है
यहाँ की आदत हमें नहीं है
हमारी सांसें तो
सल्फर डाई ऑक्साइड से चलती है
यहाँ तो एक दिन एक सप्ताह लगता है
चलो वही चले
जहाँ अट्ठन्नी जैसे
दिन खर्च हो जाता है.
यहाँ और रहा तो
ये गाँव शहर का
कोंटेक्ट नंबर मांग लेगा...
-दामोदर व्यास
Jun 9, 2012
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