Oct 3, 2012

अरे ये कहाँ आ गए

अरे ये कहाँ आ गए
ऐसी जगह तो तस्वीरों में देखी है
आँखों को आदत नहीं है
ये हरियाली देखने की
यहाँ तो पी पो भी नहीं है
यहाँ की आदत हमें नहीं है
हमारी सांसें तो
सल्फर डाई ऑक्साइड से चलती है
यहाँ तो एक दिन एक सप्ताह लगता है
चलो वही चले
जहाँ अट्ठन्नी जैसे
दिन खर्च हो जाता है.
यहाँ और रहा तो
ये गाँव शहर का
कोंटेक्ट नंबर मांग लेगा...
-दामोदर व्यास

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