ज़मीर मर चुका है
इंसान मर चुका है
किसके भरोसे जीयेंगे
सम्मान मर चुका है
तुम रैलियां निकालो
आवाज़ तुम उठालो
था जो भी सुनने वाला
वो कान मर चुका है
न बेटियाँ सुरक्षित
न बहने जी रही हैं
जिस घर में सांस लेती
वो मकान मर चुका है
शक्ति को चढ़ता सोना
बहुओं को पड़ती लातें
मुझे माफ़ करना यारों
हिंदुस्तान मर चुका है.
इंसान मर चुका है
किसके भरोसे जीयेंगे
सम्मान मर चुका है
तुम रैलियां निकालो
आवाज़ तुम उठालो
था जो भी सुनने वाला
वो कान मर चुका है
न बेटियाँ सुरक्षित
न बहने जी रही हैं
जिस घर में सांस लेती
वो मकान मर चुका है
शक्ति को चढ़ता सोना
बहुओं को पड़ती लातें
मुझे माफ़ करना यारों
हिंदुस्तान मर चुका है.
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