हर एक बात की अपनी एक शक्ल होती हैं. इन शक्लों को अलग-अलग नज़रें अपने-अपने ढंग से देखती हैं. इसी तरह मेरा भी सोच को जुबान देने का अपना एक ढंग हैं जिसका नाम है नज़रिया.
May 30, 2013
चुल्लू भर ज़िन्दगी
एक मुठ्ठी ख़्वाब और चुल्लू भर ज़िन्दगी... चिमटियों से तारे चुनने हैं, हथेली में रात रखनी है.. कलाई मोड़ देना, सुबह हो जाएगी
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