Jul 14, 2014

Age of memories

अब बंद कमरों में यादें जवां नहीं होती
एक वक़्त था
जब हुनरमंद हाथों से
रिश्ते गुजरते थे
लाल रोशनी में
घंटों लटकी रहती थी मुस्कानें

अब सब कुछ तो सेल्फी हो गया है
इंतजार नहीं करना पड़ता अब किसी का
यादों को क्लिक कर, जेब में डाल दिया जाता है
अब न कोई एल्बम बनता है
और न ही घर की मेज़ पर यादें रखी जाती है

न जाने कितनी बातें
बेवजह अपलोड-डाउनलोड होती रहती है

यादों की उम्र छोटी हो गयी है यार
छोटी सी बात पर
सब कुछ डिलीट हो जाता है
न फाड़ने झंझट
और न ही जलाने वाला अहसास

अब बंद कमरों में यादें जवां नहीं होती
अगले क्लिक तक रिश्तों की उम्र होती है
-15/7/2014

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