जी चाहता हैं चाँद तोड़ लाऊं..
सूरज को निम्बू पानी पिलाऊं..
बादल पर तालाब बनावाऊं..
आहा! ख्याल तो बुरा नहीं..
आसमान में एक ब्रिज बनाऊं..
उसपे हरी-भरी सी बेल सजाऊं..
फिर एरोप्लेन को कम्पनी दूंगा..
अरे! ख्याल तो बुरा नहीं...
जयपुर-चेन्नई पास में कर दूँ..
चाहे जिसकी झोली भर दूँ..
भेंस को मेरी पिज्जा खिलाऊं..
वैसे! ख्याल तो बुरा नहीं..
हूर-परी सी दुल्हन होगी..
लाइफ मेरी एकदम फन होगी..
वीनस पर हनीमून रचाऊं...
ओ हो! ख्याल तो बुरा नहीं...
मेरे पास एक ऐसी छड़ी हो...
मैजिक मे जिसके शक्ती बड़ी हो...
नेताओं के सर पे घुमाऊं...
भाई! ख्याल तो बुरा नहीं..
मंगल वाकिंग डिस्टेंस पे होगा..
इंडियन ओशियन वहाँ शिफ्ट होगा..
और ऑक्सीजन के प्लांट लगाऊं..
क्यों! ख्याल तो बुरा नहीं...
चाँद डूबा और सूरज निकला..
रात का अजीब ख्वाब भी पिघला..
सन-डे हें फिर से सो जाऊं..
अरे हाँ ! ख्याल तो बुरा नहीं..
कभी कभी सन-डे के दिन देर तक सोना अच्छा लगता हैं...में अक्सर जागने के बाद भी घंटो तक बिस्तर पर पडा रहता हूँ....और फिर एक ख्याल मुझे कहाँ ले जाता हैं...... उसका नतीजा आपके सामने हैं.... क्यों! ख्याल तो बुरा नहीं...
5 comments:
hehe funny but gud1...khayal bilkul bhi bura nahi hai....
ख्याल कभी-कभी के लिए तो कत्तई बुरा नहीं है मित्र...
बहूत सुंदर कविता -
शुभकामना
ब्लोगल वार्मिंग में आपका स्वागत है।
thnkx all for commenting..
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