Mar 5, 2008

मैं अरमान और तुम ख्वाब

 

हाथ बढ़ते हैं तेरी ओर जब कभी...
तो अचानक रुक जाते हैं...  डरते हैं...
तुम्हे छूने से....

पानी के बुलबुलों से भी नाज़ुक...
सुबह की पहली किरन सी तुम....
खुदा का नायाब तोहफा हो......

सर्द सुबह सी, गुलाबी गुलाबी....
शबनम  से भी प्यारी.......
चुलबुली सी मुस्कान लिए.....
जब भी कदम बढाती हो.....
तब दुनिया तो क्या वक़्त भी थम जाता हैं....

दूर कहीं एक पागल लड़का...
तुम्हे छूने की हसरत लिए....
जब भी हाथ बढाता हैं....
तो अचानक नींद उड़ जाती हैं....
"मैं अरमान से ज्यादा
और तुम ख्वाब से कम नहीं..."

2 comments:

Abha Khetarpal said...

again a wonderful work...
Maa Saraswati ki bahut kripa hai aap per....is ashirwaad ko vyarth na jaane dijiyega..
Abha

Unknown said...

dear aap jo bhi aap likhte bahut achha ho...mai aapka fan ban gaya

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